आकर बार -बार मस्तिष्क पर प्रहार करती है ! आकर बार -बार मस्तिष्क पर प्रहार करती है !
बाहर निकल जब वह देखती सब कुछ सामान्य देख वह दंग रह जाती। बाहर निकल जब वह देखती सब कुछ सामान्य देख वह दंग रह जाती।
मन अनंत विचलित हृदय, सोचे स्वप्न विशाल नये। मन अनंत विचलित हृदय, सोचे स्वप्न विशाल नये।
कोई दवा मिलती ही नहीं, मैं रो पड़ता हूं। मैं लिखता हूं, मिटाता हूं। कोई दवा मिलती ही नहीं, मैं रो पड़ता हूं। मैं लिखता हूं, मिटाता हूं।
मन मेरे क्यों विचलित होता है? तू ईश्वर का ध्यान कर। मन मेरे क्यों विचलित होता है? तू ईश्वर का ध्यान कर।
हो न रहा हो मिलन तो निकलती है सिसकी हो न रहा हो मिलन तो निकलती है सिसकी